कभी गहरे समंदर कि गहराईया ,
कभी उंचे पहाडो कि उंचाईया , …. २ ।।
तू ही अम्बुआकि छायामे खोया मितवा ,
मेरे कण कण मे कोकण समाया मितवा ।
कोकण ची चिडवा हो नाखवा,
हो हिच्या गोवाला कोकण दाखवा .
हो अशी
कोकण ची चिडवा हो नाखवा,
हो हिच्या गोवाला कोकण दाखवा .
हय्या हो हय्या हो …
लाल मिट्टी कि लाली काया मेरी
रात जैसे है जुल्फो कि छाया मेरी ---२
होंट कोकण के जैसे गुलाबी मितवा ….
धुळे चावल भी साफ दिल ही मितवा …
कोकण ची चिडवा हो नाखवा,
हो हिच्या गोवाला कोकण दाखवा .
हो अशी
कोकण ची चिडवा हो नाखवा,
हो हिच्या गोवाला कोकण दाखवा .
हय्या हो हय्या हो …
जाब भी छुकर गुजरते हो मन को मेरे ….
जैसे मृद्गंध आता ही तन से मेरे ….---२
मैने यऊ युं तेरी आशा हंसी चे मितवा ….
नारियल कि भी पेडो से उंचे मितवा ….
कोकण ची…………
कभी उंचे पहाडो कि उंचाईया , …. २ ।।
तू ही अम्बुआकि छायामे खोया मितवा ,
मेरे कण कण मे कोकण समाया मितवा ।
कोकण ची चिडवा हो नाखवा,
हो हिच्या गोवाला कोकण दाखवा .
हो अशी
कोकण ची चिडवा हो नाखवा,
हो हिच्या गोवाला कोकण दाखवा .
हय्या हो हय्या हो …
लाल मिट्टी कि लाली काया मेरी
रात जैसे है जुल्फो कि छाया मेरी ---२
होंट कोकण के जैसे गुलाबी मितवा ….
धुळे चावल भी साफ दिल ही मितवा …
कोकण ची चिडवा हो नाखवा,
हो हिच्या गोवाला कोकण दाखवा .
हो अशी
कोकण ची चिडवा हो नाखवा,
हो हिच्या गोवाला कोकण दाखवा .
हय्या हो हय्या हो …
जाब भी छुकर गुजरते हो मन को मेरे ….
जैसे मृद्गंध आता ही तन से मेरे ….---२
मैने यऊ युं तेरी आशा हंसी चे मितवा ….
नारियल कि भी पेडो से उंचे मितवा ….
कोकण ची…………
(o)
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